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बालीवुड जिहाद १

 बालीवुड जिहाद  फिल्में, सिनेमा हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। पिछले करीब ७० वर्षों से सिनेमा हमें प्रभावित कर रहा है। फिल्में देखने का शौक पहले भी और आज भी हमारे समाज लोगों में है। इन फिल्मों ने हमें मनोरंजन प्रदान किया। कुछ फिल्मों ने मनोरंजन के साथ ज्ञान और समाज अच्छा संदेश भी दिया। वहीं पुराने जमाने में बनने वाली धार्मिक व सामाजिक फिल्मों ने हमारे जनमानस को बहुत प्रभावित किया। आज भी उन अच्छी फिल्मों की मिसाल दी जाती है। कलाकारों का उत्कृष्ट अभिनय, निदेशकों का वास्तविकता के निकट और रोमांचक निर्देशन ने लोगों को बहुत प्रभावित किया। सिनेमा उद्योग ने एक नये परिवेश को जन्म दिया। सिनेमा उद्योग ने बहुत से कलाकारों को रोजगार दिया। संगीतकार, अभिनेता, लेखक, नर्तक,गायक,वादक, निर्देशक,वेशभूषा उपलब्ध करवाने वाले, कैमरामैन इत्यादि लोगों को अच्छा काम दिया। हमारे समाज में फ़िल्मों के आने के कारण बहुत परिवर्तन आया। सकारात्मक परिवर्तन के साथ साथ बहुत से नकारात्मक प्रभाव समाज में देखने को मिले।               इस सिनेमा भारतीय जन मानस का भरपूर मनोरंजन किया पर एक धीमा जहर हमारे समाज को बांट भी द

अध्यात्म जिहाद भाग १

 अध्यात्म जिहाद 1       धर्म में आस्था और आध्यात्म के प्रति झुकाव आज भी हिंदूओं में मिलता है। हिंदू आज भी जिन्हें वे पवित्र मानते हैं उनके आगे नतमस्तक हो जाते हैं। इसी भाव के कारण आज भी हिंदूओं में मानवता देखने को मिल जाती है। कण कण में में ईश्वर का वास समझना और पूरी पृथ्वी को अपना कुटुम्ब समझना ये हिंदूओं का चिंतन है। दुर्भाग्य से आज यही विचार हिंदूओं के लिए विनाश का कारण बनता दिखाई पड़ रहा है।              कुछ वर्षों से हिंदूओं के अन्दर धर्माभिमान कम होने से तथा धर्म के प्रति अज्ञानता होने के कारण हिंदू समाज में सोच बदल गई है। हिंदूओं के अन्दर अपने भगवान और देवी देवता के प्रति उपेक्षा व संदेह  का भाव आ गया है और ये सब एक सुनियोजित तरीके से किया गया है। ये सब वामपंथी शिक्षा और धर्मनिरपेक्षता का महिमा मंडन के कारण हुआ है। जिसके कारण हिंदू भ्रमित हो गया और वह अपने धर्म के मूल विचार से हट गया है और उसके अंदर धर्म को लेकर सही व गलत का विवेक नगण्य सा हो गया है।  जिसके कारण हिंदू उन शक्तियों और प्रतीकों को को भी अपना मान बैठा जो उसके विनाश के लिए हैं। हिंदूओं के अन्दर शत्रु बोध समाप्त सा हो

आर्थिक जिहाद भाग २

  आर्थिक जिहाद 2 पिछले अंक में हमने आर्थिक जिहाद के बारे में जाना अब इसके समाधान के लिए और विस्तार से समझाने का प्रयास करता हूं। आर्थिक जिहाद एक सुनियोजित तरीके से फैलाया जा रहा है। जिसके निपटने के लिए हमें कदम उठाना होगा। कुछ वर्ष पूर्व उत्तर पूर्व के राज्य असम के एक हिंदू व बौद्ध बहुल क्षेत्र में कुछ जिहादी आकर व्यापार करने लगे। धीरे धीरे ये बाजार पर अपना आधिपत्य करने लगे। ये जिससे स्थानीय लोगों के व्यापार को नुक्सान होने लगा तो वहां किशोर व युवा वर्ग के लड़कों ने एक योजना बनाई। उन्होंने एक विशेष अंक का कोड हिंदू दुकानदारों के यहां लगा दिया और स्थानीय लोगों को भी समझाया। उसके बाद स्थानीय लोगों ने उसी दुकान से सामान खरीदने लगे। जिससे जिहादियों का व्यापार ठप्प पढ़ने लगा और कुछ ही महीनों में वे उस स्थान को छोड़कर चले गए।     मध्यप्रदेश के एक गांव में जिहादियों की संख्या बढ़ने लगी तो एक बार विवाद हो गया। गांव के हिंदू ने फिर एक निर्णय लिया कि हिंदूओं के विवाह समारोह में जो बारात निकला करती थी उस बारात में अधिकांश बैंड बाजा और रोशनी करने वाले ये शैतानदूत हुआ करते थे। तो उन्होंने बारात

आर्थिक जिहाद भाग १

  आर्थिक जिहाद पूरी दुनिया में इस्लाम का जिहाद चल रहा है। इस जिहाद के भी कई प्रकार हैं जो अलग अलग रूपों में हमारे आसपास कार्य कर रहे हैं। कुछ के बारे में हमें मालूम है और कुछ के बारे में हम अनभिज्ञ हैं। हथियार लेकर जिहाद के बारे में तो लगभग सभी को ही मालूम हैं , पर दिलचस्पी की बात ये है कि हथियार से जो जिहाद हो रहा है वो पूरे जिहाद का मात्र २.५ प्रतिशत हैं। लव जिहाद के बारे में भी अधिकांश हिंदूओं को पता लग रहा है। हमारे भारत में और भी जिहाद चल रहे हैं जैसे भूमि जिहाद, मेडिकल जिहाद, शिक्षा जिहाद, कला जिहाद इत्यादि। इन सबके अलावा एक आर्थिक जिहाद भी चल रहा है जो बहुत ही ख़तरनाक है और जिसके बारे में जागरूकता की काफी कमी हमारे समाज में देखी गई है।            आर्थिक जिहाद एक ऐसा धीमा जिहाद है जो बहुत शांति से चल रहा है और बहुत प्रभावशाली है। इसका प्रभाव प्रत्यक्ष दिखाई नहीं पड़ रहा है। हलाल जिहाद तो केवल इसका एक अंग मात्र है। इस प्रकार जिहाद को बड़ी चतुराई से किया जा रहा है और पूर्व व वर्तमान सरकारों का भी इसमें काफी सहयोग हैं। सबसे पहले मैं यह बताना चाहूंगा कि आर्थिक जिहाद का क्या स्वरूप