पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदूओं की पीड़ा

 पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदूओं की पीड़ा

     स्वतंत्रता के समय हमारी पूज्य मातृभूमि के टुकड़े हुए। देश दो भागों में बटं गया। धर्म के आधार पर विभाजन हुआ। हिंदू और मुसलमानों की अदला बदली हुई। पर ये विभाजन अधूरा रह गया क्योंकि बहुत से मुस्लिम भारत में रह गये और कुछ हिंदू पाकिस्तान में भी रह गये। भारत के मुसलमान तो बहुत अच्छे से यहां रह रहे हैं पर पाकिस्तान और बांग्लादेश में हमारे हिंदू भाइयों को बहुत ही कठिन समय बिताना पड रहा है। ये हमारे भाई जो किन्हीं मजबूरियों के कारण पाकिस्तान में ही रह गए वो आज बहुत ही बुरे दिन देख रहे हैं। इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। 

पाकिस्तान में २०१४ तक हिंदूओं की संख्या ९० लाख के आसपास है और बांग्लादेश में डेढ़ करोड़ के आसपास है। वहां के हिन्दू आज भी दोयम दर्जे के नागरिक हैं। उन्हें वहां अपमान, अपने धर्म का अपमान, जीवन व धन की हानि तथा हिंदू लड़की और महिलाओं के सम्मान के खतरा आदि बातें सहन करनी पड़ती हैं। किन परिस्थितियों में वे भारत आए थे इसके बारे में सुन पाना भी कठिन है और जिन परिस्थितियों को वे झेल रहे हैं उसका अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल है। उनका जीवन एक तलवार की धार पर चलने के समान है। 

      हमारे हिन्दू समाज ने बहुत कुछ सहा है और सफल प्रतिकार भी किया है। पर पिछले करीब १०० वर्षों में हिंदू समाज के साथ पूरे विश्व में षडयंत्र चल रहा है जिसमें हिंदूओं को मानसिक, वैचारिक और धार्मिक रूप से समाप्त करना है। ये कार्य अब्राहमिक पंथ द्वारा किया जा रहा है। उनका ये षडयंत्र सफल भी रहा है। इस षडयंत्र का एक हिस्सा पाकिस्तान का निर्माण था। पाकिस्तान के निर्माण से पहले भारत में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई और एक संगठन जमात ए इस्लामी की स्थापना हुई। मुस्लिम लीग का गठन भी हो चुका था। अंग्रेजों ने हिंदूओं के बीच गांधी और नेहरू को उतार दिया था। स्वामी श्रद्धानंद जी के शुद्धि आन्दोलन के कारण मुस्लिम घर वापसी करने लगे थे। इसको रोकने के लिए जमात ए इस्लामी की स्थापना हुई। अखंड भारत के जिस भूभाग पर मुस्लिम पाकिस्तान चाहते थे उस क्षेत्र के हिंदूओं को छल बल से मुस्लिम बनाना चालू कर दिया था। पंजाब, ख़ैबर पख़्तून सिंध और बंगाल के हिस्से में धर्मांतरण प्रारंभ हो गया था। पेशावर के पास  एक जगह काफ़िर कोट कहलाता है वहां आज भी पुराने मंदिर है। सन १९११ के आसपास वहां पर हिंदू ही रहते थे। वहां हिंदूओं को जबरन मुस्लिम बना दिया गया। १९३० के दशक में बंगाल में दो तिहाई हिंदूओं का धर्मांतरण हो गया। इस तरह से बहुत क्षेत्रों में धर्मांतरण हुआ। सन् १९४७ के पहले से ही हलचल चालू हो गई थी। फिर मुस्लिम लीग की सीधी कार्रवाई हुई कलकत्ता में एक ही दिन में दस हजार हिंदू मार दिए गए। देश का विभाजन हुआ। 

बहुत सारे हिंदू अपना सब कुछ गंवा कर भारत आए। पर कुछ हिंदू वहीं रह गए। उनके वहां रह जाने के अनेक कारण हैं। 

     १) कुछ हिंदू स्थानीय मुस्लिम और पाकिस्तान की सरकार के आश्वासन के कारण वही रह गए।

२) बहुत से हिंदूओं को ये पता ही नहीं था कि विभाजन हो गया है और उन्हें कहां जाना है ये पता नहीं था।

३)  कुछ हिंदू अपनी सम्पत्ति बचाने के लिए परिस्थितियों से समझौता कर रहने लगे।

४) कुछ हिंदू गरीब और अशिक्षित होने के कारण वही रह गए।

५) हमारे दलित वर्ग के ख़ास तौर वाल्मीकि समाज जो भंगी का काम करते थे उन्हें रोक लिया गया। 

६) कुछ हिंदू अपनी धरती नहीं छोड़ना चाहते थे इसलिए वहां रह गए।

   इस तरह क़रीब २८ प्रतिशत हिंदू वहीं रह गए। ग़ैर मुस्लिम होने के कारण उन पर बहुत से प्रतिबंध लगाए गए। पाकिस्तान बनने के बाद बांग्लादेश बना। बांग्लादेश में हिंदुओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और पाकिस्तानी सेना के नरसंहार में लगभग ४६ प्रतिशत हिंदू मारे गए‌ , पर उसकी चर्चा कोई नहीं करता। इसके बदले उन्हें बांग्लादेश में अपमान, अत्याचार ही मिला। वहां के हिंदूओं ने जो पीड़ा झेली है वो शायद ही किसी समाज ने सहन करी होगी। विश्व में किसी ने भी उनकी सहायता करना तो दूर उनके बारे में बोलना तक उचित नहीं समझा। भारत की सरकार तो ठीक है पर हिंदू धर्माचार्य और संगठनों ने भी चुप्पी साध ली। इनके हालात पर कभी चर्चा नहीं हुई। इंटरनेट के माध्यम से कुछ जाग्रति आई है पर वो भी बहुत थोड़ी है। कहने को दास प्रथा का उन्मूलन हो गया है पर सिंध प्रांत के कुछ हिस्सों में हिंदू आज भी बंधुआ मजदूर बना कर रखें गये हैं और वो अनेक पीढ़ियों से बंधुआ मजदूर हैं। जिनके साथ जानवरों से भी बुरा व्यवहार होता है। कोई भी इन हिंदूओं के लिए नहीं बोलता है। आज पाकिस्तान में २ प्रतिशत से भी कम हिंदू रह गए हैं। 

   

        आज वहां पर सबसे अधिक खतरे में है तो हमारी बेटियां हैं जिनका कभी भी अपहरण हो जाता है और उनका धर्मांतरण हो जाता है और बाद में उन्हें वेश्यावृत्ति में धकेल दिया जाता है। छोटी छोटी बच्चियों को अधिक आयु के पुरुषों से शादी कर दी जाती है। छोटी छोटी बच्चियों का सामूहिक बलात्कार होता है। उन्हें यौन दासी बना दिया जाता है। उन्हें इस्लामिक कानून में न्याय भी नहीं मिल पाता है। उनके माता-पिता भी उन बच्चियों से नहीं मिल पाते हैं। सामान्य जीवन में हिंदूओं को भेदभाव का शिकार होना पड़ता है। पाकिस्तान में हिंदू के साथ छुआछूत की जाती है। मुस्लिम उन्हें अपने पास भी नहीं भटकने देते हैं। उनका पानी पीने का गिलास भी अलग होता है। हिंदू प्यास लगने पर सार्वजनिक नल से पानी पीना भी मुश्किल होता है। स्कूल कालेज में भी भेदभाव और अपमान झेलना पड़ता है। 

     इतना सबकुछ हिंदूओं के साथ हुआ पर आश्चर्य की बात यह है कि देश के दूसरे भाग के जो हिन्दू है वे अनभिज्ञ क्यों है। इसका उत्तर हमें इतिहास से मिलेगा। अंग्रेजों के आने के बाद देश की दिशा और दशा में बहुत परिवर्तन आए। अंग्रेजों ने भी हिंदूओं के साथ छल ही किया। हिंदूओं को उनके गौरवपूर्ण इतिहास और धर्म से दूर करने की साज़िश तो हुई ही है। एक बात और हुई वो ये है कि एक हिंदू पर होने वाले अत्याचार का पता दूसरे हिंदूओं को पता नहीं लगने दिया। अंग्रेजों ने परोक्ष रूप से मुस्लिम का ही, साथ दिया। एक नरसंहार जो हम हिंदूओं से छिपाया गया वो हैदराबाद के निज़ाम ने जिसका शासन कभी आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पूर्वी महाराष्ट्र और उत्तरी कर्नाटक में हुआ करता था। मोपला नरसंहार से भी भीभत्स नरसंहार हैदराबाद के निज़ाम ने हिंदूओं पर किया। लेकिन इसका पता बहुत कम ही लोग जानते हैं। हैदराबाद निज़ाम के राज्य में तीन भाषाएं बोली जाती थी वो हैं तेलगु, कन्नड़ और मराठी । हैदराबाद के निज़ाम ने जो अत्याचार किए वो इसलिए सफल हुए क्योंकि आंध्र में होने वाले अत्याचार का पता बीदर (कर्नाटक) और महाराष्ट्र के हिंदूओं को नहीं पता और इसी तरह आंध्र को बाकि के दोनों क्षेत्रों के बारे में नहीं पता। एक दूसरे की भाषा नहीं जानने के कारण ये समस्या और विकराल हो गई और हैदराबाद के निज़ाम ने इसे बड़ी चतुराई से छुपाकर रखा। अंग्रेजों ने भी निज़ाम की सच्चाई को बाहर नहीं आने दिया क्योंकि मुंबई राज्य में जो निज़ाम के कारनामे लिखने के लिए जो दस्तावेज बनवाये वो सच्चाई से बहुत दूर थे। 

       छिपाकर रखने की इस नीति को अंग्रेजों और जिहादियों ने बहुत अच्छे से चलाया। इस नीति को मुस्लिमो ने भी हिंदूओं के खिलाफ इस्तेमाल किया। तात्कालीन कांग्रेस पार्टी ने भी इस नीति को हिंदूओ के खिलाफ अपनाया। जिन सजग हिंदूओं ने कुछ प्रयास भी किए तो भी उन्हें कोई अधिक सफलता नहीं मिली। वर्तमान में भी इस छिपाने की नीति को हिंदूओ के खिलाफ कैसे इस्तेमाल किया गया इसका एक उदाहरण है धारा 35 अ जिसका पता बड़ी मुश्किल से पता लगा। पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ जी एक पत्रकार है जो कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से पढ़े हुए हैं। उनका उर्दू भाषा पर अच्छी पकड़ है। इस्लाम और मुस्लिम संस्कृति को बहुत अच्छे से समझते हैं। पुष्पेंद्र जी क़रीब १२ वर्ष पाकिस्तान में एक पत्रकार के रूप बिताए। वहां पर एक मजलिस में पाकिस्तान के लोगों ने उन्हें बताया कि कश्मीर की समस्या का कारण धारा 370 नहीं बल्कि 35A है। उन्होंने भारत आकर अपने वकील मित्रों से चर्चा करी पर कोई भी वकील और विधि विशेषज्ञ को इस धारा के बारे में जानकारी नहीं थी। यहां तक सुप्रीम कोर्ट के जज व वकील भी इस बारे में अनभिज्ञ थे क्योंकि विधि के पाठ्यक्रम में इस धारा के बारे में कोई अध्ययन नहीं होता था। बहुत प्रयास करने के बाद इसका पता लगा। धारा 35अ के बारे में पाकिस्तान के लोगों को पता है और हिंदुस्तान के जज को भी नहीं मालूम है। इससे आप अनुमान लगा सकते हैं कि कितना बड़ा षडयंत्र हमारे साथ हुआ है और हो रहा है।

       नाथूराम गोडसे जी ने जब गांधी जी को मारा था और उन्हें फांसी की सज़ा सुनाई गई थी।  सात दिन तक उन्होंने अपने विचार साधारण जनता के सामने रखने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस की। लेकिन जो तात्कालीन कांग्रेस सरकार ने सभी पत्रकारों से उनसे सारे कागज  फाड़ दिए जिसमें उन्होंने गोडसे जी के विचार लिख हुए थे और कैमरे तक छीन लिए गए। तो आप सोच सकते हैं कि किस तरह षडयंत्र हुआ है। आज हिंदूओं के साथ होने वाली घटनाओं के बारे में बताने समाचार पत्र बहुत कम है।  15 अगस्त को स्वतंत्रता मिली। इस स्वतंत्रता के उत्सव मनाने में हम यह ही भूल गए कि हमारी भूमि चली गई और हमारे हिंदू भाइयों ने कितना अत्याचार सहन किया। उनको हम हिंदूओं ने भुला दिया यहां तक कि विस्थापित हिन्दुओं की संतानों ने भी अपने पूर्वजों के नरसंहार को भुला दिया। आज भी हिंदूओं पर अत्याचार को यूएनओ में नहीं उठा पाए।

         हमारे साधु संत भी पाकिस्तान के धार्मिक महत्व के बारे में या तो जानते नहीं या बताते नहीं है। पाकिस्तान में आज भी ऐसे कई स्थल है जो धार्मिक रूप से बहुत महत्व रखते हैं। पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में माता हिंगलाज, कसाटराज, पेशावर का प्रह्लाद मंदिर, लाहौर में सूर्य मंदिर  आदि बहुत से मंदिर हैं। पर एक षडयंत्र के तहत बहुत सारी जानकारी हम हिंदूओं से छुपाई गई। हमारे चार शक्ति पीठ बांग्लादेश में हैं। हिंदूओं को अज्ञानता में रख कर समाप्त करने का षडयंत्र करीब सौ बर्ष से चल रहा है। हमारे हिन्दू संघटन कभी भी पाकिस्तानी और बांग्लादेशी हिंदू के बारे में विमर्श नहीं करते हैं क्योंकि बहुत से संगठन में वामपंथियों और जिहादियों की घुसपैठ है। भारत का सामान्य हिंदू भी उन्हें विदेशी अर्थात पाकिस्तानी समझता है और यह कहता है कि उन हिंदूओं को स्वयं ही अपनी परिस्थितियों से निपटना चाहिए उन्हें भारत आने की क्या आवश्यकता है। सोशल मीडिया पर पाकिस्तानी हिंदूओं को सुनने के बाद पता चलता है कि वो इस बात से सबसे अधिक दुःखी होते हैं कि भारत के हिन्दू उनकी इस हालत की उपेक्षा करते हैं।

       २०१४ के बाद परिस्थितियों में थोड़ा परिवर्तन हुआ है। भारत सरकार ने वहां से आने वाले हिंदूओं के लिए नियम कायदे सरल किए गए हैं। अब उन्हें आसानी से वीसा मिल रहा है। पाकिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक को भारत में रहने के लिए बिल भी लाया गया है। हिंदूओं के साथ हो रहे चहुं ओर से षडयंत्र के कारण बांग्लादेश और रोहिंग्या तो आसानी से बस जाते हैं लेकिन हमारे हिंदू भाइयों को बहुत परेशानी झेलनी पड़ती है। भारत जो कि हिंदूओं का स्वाभाविक शरण स्थली है वहां पर भी वो नहीं आश्रय पा सकें तो ये बहुत दुख की बात है।

      एक सामान्य हिंदू जानकारी के लिए समाचार पत्र और पत्रिकाओं, रेडियो स्टेशन तथा न्यूज़ चैनल पर निर्भर रहता है। भारतीय मीडिया पर हिंदू विरोधी शक्तियों का अधिपत्य है। कुछ पत्र पत्रिकाएं प्रकाशित भी होती है तो बहुत कठिनाई से उनका संचालन होता है और वे हिंदूओं में बहुत कम मात्रा में पढ़ी जाती हैं। यदि हमारे धर्म गुरु और संगठन इस विषय के प्रति हिंदूओं को जाग्रत करेंगे तो इन पत्र पत्रिकाओं को पढ़ने के लिए हिंदू प्रेरित होंगे। हिंदूओं को अपना संचार तंत्र विकसित करना होगा तथा वर्तमान मिडिया में घुसपैठ करनी होगी। कुछ संगठन जो इन हिंदू के लिए कार्य कर रहे हैं उनको सामने लाना होगा और सहयोग प्रदान करना होगा। हिंदूओं के साथ हो रहे अत्याचार को जानना होगा और  दूसरे हिंदूओं तक उसकी जानकारी पहुचानी पड़ेगी। जिसके लिए हमें अपनी व्यवस्था करनी होगी। सरकारी मंदिरों में दान करने की बजाय हमें इस विषय पर अपना धन लगाना चाहिए।

        पाकिस्तान में करीब २ प्रतिशत हिंदू रह गए हैं जो पूरे देश का १७ प्रतिशत टैक्स देते हैं। पाकिस्तान में दलित हिंदूओं की संख्या अधिक है अधिकांश दलित हिंदू गरीब और अशिक्षित हैं। उन तक कोई मीडिया नहीं पहुंच पाता है। ये पाकिस्तान के देहात में रहते हैं और कृषि से सम्बंधित कार्य करते हैं। गांव में मुस्लिम जमींदार के नीचे रहकर काम करना पड़ता है। पाकिस्तान के हिन्दू देश छोड़कर जाने लगे हैं। शिक्षित और समर्थ हिंदू पश्चिम देशों की ओर रूख कर रहे हैं और ग़रीब हिंदू भारत आ रहें हैं। और जो कहीं जा नहीं सकते वो धर्मांतरित हो रहे हैं। हिंदूओं के योजनाबद्ध तरीके से पलायन को मजबूर किया जा रहा है। इन सब हालात पर हमारे समाज और धर्म गुरुओं की चुप्पी इस षडयंत्र को बल देती है। 

पाकिस्तानी हिंदूओं के लिए जो बिल लाया गया था उसे मुस्लिम ने लागू नहीं होने दिया। आज ये स्थिति है कि पाकिस्तानी हिंदू कहां रहे और कैसे रहें ये मुस्लिम

निर्धारित करते हैं फिर चाहे वे पाकिस्तान के मुसलमान हो या भारत के हैं। पाकिस्तान के दलितों पर हो रहे अत्याचार के बारे में कोई दलित संगठन व नेता नहीं बोलता है। जब श्रद्धा वालकर को 35 टुकड़े कर दिए कोई दलित नेता नहीं बोला क्योंकि अपराधी जिहादी था। पाकिस्तानी और बांग्लादेशी हिंदू के खिलाफ हो रहे इस्लामिक षडयंत्र और अत्याचार से निपटने के लिए रणनीति बनाकर कार्य करना बहुत आवश्यक है। कम से कम हमें बोलना तो चाहिए और हिंदू समाज के अंदर और विश्व पटल पर ये बात रखनी चाहिए। भारत आने वाले पाकिस्तानी हिंदू भी कुछ नहीं बोलते क्योंकि उनके रिश्तेदार वहां पर रहते है।

     हम सबको पाकिस्तानी हिंदू का सम्मान करना चाहिए क्योंकि इतनी कठिन परिस्थितियों में भी वो आज भी हिंदू बने हुए हैं। विभाजन के बाद बहुत से हिंदू धर्मांतरित हो कर सुखी जीवन पाकिस्तान में जी रह रहे हैं। यहां तक कि उनके कुछ हिंदू रिश्तेदार भारत में आकर रहने लगे। पर पाकिस्तानी हिंदूओं ने अपना धर्म नहीं छोड़ा। हमें अपने इन भाईयों के बारे में कुछ सोचना चाहिए।

इन्हें कैसे पाकिस्तान से निकाला जाय और उनकी रक्षा की जाए इस पर विचार करना होगा।एक बात ध्यान देने वाली है कि जब से भारत में मुस्लिमों की संख्या और आतंक बढ़ा है तभी से पाकिस्तान में हिंदूओ पर और अत्याचार बढ़े हैं। इसलिए हमें अपने देश को हिंदू राष्ट्र बनाना होगा। अब मैं इस लेख को विराम देता हूं


सचिन कुमार 

      

       

       

       


    

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

आर्थिक जिहाद भाग १

बालीवुड जिहाद २

अध्यात्म जिहाद भाग १